राष्ट्रीय युवा दिवस पर दें स्वामी विवेकानंद पर दमदार भाषण| Speech on Swami Vivekananda in Hindi

12 January Speech on Swami Vivekananda in Hindi: राष्‍ट्रीय युवा दिवस पर आपके स्कूल या कॉलेज में भी स्वामी विवेकानंद पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा होगा। अगर आपने इस मौके पर भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया है, या फिर आपको मंच पर स्वामी विवेकानंद के बारे में चंद शब्द बोलने हैं, तो आपके पास ऐसा भाषण होना चाहिए, जिसे सुन कर सभा में बैठे शिक्षक व छात्र मंत्रमुग्ध हो जायें। जाहिर है आपका भाषण दमदार होना चाहिए। हम आपके लिए स्वामी विवेकानंद पर भाषण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे आप मंच पर बोल सकते हैं। भाषण इस प्रकार है-

राष्ट्रीय युवा दिवस पर दें स्वामी विवेकानंद पर दमदार भाषण| Speech on Swami Vivekananda in Hindi

प्रिय उपस्थिति, अतिथिगण और प्यारे साथियों,

आज मैं यहां खड़ा/खड़ी हूँ ताकि हम सभी मिलकर एक महान आध्यात्मिक नेता, विचारक और योगी, स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों के बारे में जान सकें। उन्होंने अपने जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण संदेशों को हमें सिखाया और उनके विचारों ने हमें एक नए दृष्टिकोण की दिशा में प्रेरित किया।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ था और उनके माता-पिता, विष्णुप्रिया देवी और विष्णु नाथ भट्ट, ने उन्हें बचपन से ही धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के साथ बड़ा किया। उनके पिताजी एक पंडित थे और उन्होंने अपने बच्चों को संस्कृत और वेदों की शिक्षा दी। इसके परंतु, स्वामी विवेकानंद ने बहुत विविधता से भरी विद्या का संचार किया और उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया।

विवेकानंद ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय श्रीरामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनकर बिताया। श्रीरामकृष्ण ने नरेंद्र को अपने आत्मज्ञान और भक्ति के माध्यम से अनुभव करने की प्रेरणा दी। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु के आदर्शों को अपने जीवन का हिस्सा बनाया और उनके विचारों को दुनिया के सामने रखा।

स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के दौरान विभिन्न देशों का भ्रमण किया और वहां लोगों से मिलकर उनके विचारों का प्रचार-प्रसार किया। 1893 में, विश्व धर्म महासभा में शिकागो में आयोजित हुई बृहत्तर भारतीय धर्म महासभा में स्वामी विवेकानंद ने अपने अनभूत भावनाओं को साझा किया और वहां अपने उत्कृष्ट भाषण में "आपका भारत" कहकर भारतीय सभ्यता की महत्वपूर्णता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।

स्वामी विवेकानंद ने अपने विचारों में योग, साधना, ध्यान और सेवा का महत्व बताया। उन्होंने युवा पीढ़ी को जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति प्रेरित किया और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करने का संदेश दिया।

स्वामी विवेकानंद का एक अन्य महत्वपूर्ण संदेश था धर्म में समानता और सहिष्णुता का। उन्होंने यह बताया कि सभी धर्म एक ही दिव्यता की ओर ले जाते हैं और सभी मानव एक ही परमात्मा के बच्चे हैं। इसलिए, हमें धार्मिक भेदभाव को छोड़कर समृद्धि और एकता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद ने युवा पीढ़ी को जीवन का मतलब समझाने का कार्य किया। उन्होंने कहा, "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं होता।" उनका यह कहना युवा पीढ़ी को सोचने का समर्थन करता है कि हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किसी भी हाल में काम करना चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

उन्होंने सेवा की भावना को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यों की शुरुआत की। उन्होंने भिक्षुकी भूमिका से नीचे गिरकर गरीबों, बीमारों और असहाय लोगों की सेवा में अपना समय बिताया।

स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज को जागरूक करने के लिए शिक्षा के महत्व को बताया और उन्होंने युवा पीढ़ी को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर और सक्षम बनने का मार्गदर्शन किया।

स्वामी विवेकानंद के विचारों ने युवा पीढ़ी को एक नए भारत की दिशा में प्रेरित किया। उनका संदेश था कि हमें अपने जीवन में उच्चता की ओर बढ़ना चाहिए और अपने क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।

इसके अलावा, स्वामी विवेकानंद ने ध्यान, योग और मेधावी बनने के लिए भी प्रेरित किया। उनका मानना था कि सही मार्गदर्शन और सही दिशा में प्रयास करने से ही हम अपने उद्दीपन की ऊँचाइयों तक पहुंच सकते हैं।

अभिनंदन के साथ, मैं अपने भाषण को समाप्त करना चाहता/चाहती हूँ। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में सत्य, न्याय, धर्म और सेवा के मूल्यों का पालन किया और हमें भी इन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।

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English summary
Speech on Swami Vivekananda in Hindi: Swami Vivekananda was born on 12 January 1863. His real name was Narendranath and his parents, Vishnupriya Devi and Vishnu Nath Bhatt, raised him with religious and social values since childhood. His father was a Pandit and taught Sanskrit and Vedas to his children.
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