10 Lines On National Unity Day 2023: हर साल 31 अक्टूबर को भारत एकता, अखण्डता और ताकत की गूंज से गूंज उठता है। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में, विविधता के सामने एकजुटता के महत्व की एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का महत्व बेहद गहरा है।
दुनिया भर की चुनौतियों के बीच देश को एकजुट करना और संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का जश्न मनाना राष्ट्रीय एकता दिवस का मूल उद्देश्य है।
एकता के वास्तुकार सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म जयंती के अवसर पर पूरा देश उनके सम्मान में इस दिन का जश्न मनाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद रियासतों को एक संयुक्त राष्ट्र में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी दृष्टि और दृढ़ संकल्प ने एकीकृत भारत का मार्ग प्रशस्त किया। राष्ट्रीय एकता दिवस के दिन जहां एक ओर मतभेदों का जश्न मनाया जाता है और विविधता को अपनाया जाता है।
भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के नडियाद में 31 अक्टूबर, 1875 को जन्म लेने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनका पूरा नाम वल्लभभाई झवेरभाई पटेल है। पटेल ने गांधीजी के अंहिसा के मार्ग का अनुसरण करते हुए भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अमूल्य भूमिका निभाई। तमाम पारिवारिक बाधाओं के बावजूद सरदार पटेल ने देशभक्ति की भावना को मिटने नहीं दिया और देशहित के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये।
शिक्षा के प्रति उनकी लगन और उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें लॉ की पढ़ाई करने और इसी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एक सफल बैरिस्टर बन गये। हालांकि, अपने व्यवसायिक कार्यों के बीच औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आवाज उठाने में और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने में वे कभी पीछे नहीं हटें।
देशहित में सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान 1947 में आजादी के बाद देश के तमाम रियासतों को एकीकृत करना था। उन्होंने कई ऑपरेशन्स के तहत शांतिपूर्ण भाव से सैंकड़ों रियासतों को भारत में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुटनीति में उनके कौशन और भारत को श्रेष्ठ बनाने के संकल्प के कारण भारत में करीब 560 से अधिक रियासतों का विलय संभव हुआ। सरदार पटेल की इस भूमिका से भारत में आज भी क्षेत्रीय अखंडता बनी हुई है।
सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती के अवसर पर आइए निम्नलिखित 10 लाइनों के माध्यम से जानते हैं राष्ट्रीय एकता दिवस के महत्व के बारे-
1. हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भारतीय इतिहास में खास महत्व रखता है, जो विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देता है।
2. इस दिन, यानी 31 अक्टूबर को देश भर में भारतीय स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण के वास्तुकार देश के पहले उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती मनाई जाती है।
3. राष्ट्रीय एकता दिवस उस विविधता की मार्मिक याद दिलाता है, जो हमारे देश को भाषाओं और संस्कृतियों से लेकर परंपराओं और धर्मों तक समृद्ध करती है।
4. पिछले कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि देश ने महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया है और राष्ट्रीय एकता का झंडा लहराया है।
5. भारत के विविध समुदायों के बीच सद्भाव, समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम, पहल और तमाम तरह की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
6. स्कूल और कॉलेज युवा पीढ़ी को एकता, अखंडता के मूल्यों और सरदार पटेल के उल्लेखनीय योगदान के बारे में शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन स्कूलों एवं कॉलेजों में तर्क-वितर्क, क्विज, भाषण, निबंध लेखन जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
7. राष्ट्रीय एकता दिवस के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस दिन भारत के कई शहरों या क्षेत्रों में "रन फॉर यूनिटी" मैराथन का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी क्षेत्रों के और सभी उम्र के लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं, बाधाओं को पार करते हुए राष्ट्र की सामूहिक भावना का प्रतीक बनते है।
8. राष्ट्रीय एकता दिवस 2023 आपसी सम्मान और स्वीकृति के महत्व पर जोर देता है। यह दिन नागरिकों को मतभेदों का जश्न मनाने और उनमें ताकत खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है।
9. राष्ट्रीय एकता दिवस 2023, प्रत्येक भारतीय के लिए राष्ट्र की यात्रा पर विचार करने, एकजुट भारत के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए संघर्षों और बलिदानों को स्वीकार करने का अवसर है।
10. गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे लौहपुरुष सरदार पटेल के उल्लेखनीय योगदान को समर्पित करते हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल की ये प्रतिमा पूरे विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसे दुनिया भर में शांति, सद्भाव और एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।