आपके बच्चों की परीक्षाएं नज़दीक हैं तो अब इस बात पर ज़ोर देकर उन्हें तनाव न दें कि तैयारी कैसी है, बल्कि यह समय ऐसा है जब ख़ुद भी तनाव मुक्त रहें और बच्चों को भी इससे दूर रखें। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परीक्षाओं के टाइमटेबल आ चुके हैं। यूं तो सभी बच्चों पर परीक्षा का बड़ा दबाव होता है। लेकिन जिन बच्चों के बोर्ड एग्ज़ाम होते हैं, उन्हें चौतरफ़ा दबाव झेलना पड़ता है: परीक्षा का, पीयर ग्रुप यानी सहपाठियों का, माता-पिता का और आने वाले परिणाम का भी, क्योंकि इस पर उनका आगे का दाख़िला निर्भर करता है। ऐसे में अभिभावकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। साल के इस समय तक बच्चे इतनी पढ़ाई कर चुके होते हैं कि यदि माहौल को सही तरह से व्यवस्थित किया जाए तो वे बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।
इस तरह दें बच्चों का साथ
टाइमटेबल लेकर बच्चे के साथ बैठें और तय करें कि उसे पूरा कोर्स कब तक ख़त्म कर लेना है और कब से रिविज़न शुरू करना है।
हर विषय को छोटे-छोटे भागों में बांटकर, समय सीमा तय करके, पढ़ने की योजना बनाएं और उस योजना पर टिके रहने को प्रेरित करें।
हर विषय का पाठ्यक्रम पढ़ने के साथ-साथ पिछले वर्षों के पेपर देखते चलें तो बच्चे को अंदाज़ हो जाएगा कि किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं।
हर विषय की पढ़ाई ख़त्म होने के बाद बच्चा उनके पुराने पेपर हल करे। इससे दिए गए समय में पेपर पूरा करने की आदत बनेगी।
कोरोना काल में बच्चों की लिखने की आदत पर असर पड़ा है अत: पेपर हल करने से उन्हें लिखने का अभ्यास बना रहेगा।
तुरंत तनाव दूर करने वाले खाद्य
बच्चों की शिक्षिका रीना इस बात पर भी ज़ोर देती हैं कि एग्ज़ाम टाइम में बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्हें हल्का, सुपाच्य और स्वास्थ्यवर्धक आहार देना चाहिए। अत: हमने कुछ खाद्य पदार्थों का पता लगाया, जो तनाव दूर करने में कारगर हैं। इन्हें अपने बच्चों के आहार में शामिल करके अभिभावक तनाव से दूर रखने में मदद कर सकते हैं। ये पदार्थ हैं: विटामिन सी युक्त फल, सूखे मेवे, दही और डार्क चॉकलेट। अभिभावक बच्चे को डिनर टाइम पर करा दें। अगर बच्चे को घबराहट में नींद नहीं आ रही हो तो उसे एक कप गुनगुना दूध पिलाएं। अब आप समझ गए होंगे कि क्यों आपके अभिभावक आपकी परीक्षा के दिनों में आपको दही-शक्कर खिलाकर परीक्षा देने भेजते थे। है ना?
बच्चे का कमरा हो व्यवस्थित
परीक्षा की तैयारी के दौरान बच्चों का ज़्यादातर वक़्त अपने कमरे में बीतता है। इसलिए अभिभावक इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का कमरा हवादार, प्राकृतिक रोशनी से भरा हो। कमरे में सामान फैला न रहे। बच्चे कमरे की लाइट और म्यूजिक बंद करके सोएं। कमरे में ताज़े फूल या इनडोर प्लांट भी रख सकते हैं, जिन्हें देखकर वे अच्छा महसूस करेंगे। अभिभावक बच्चे को 15-20 मिनट के लिए पैर गुनगुने पानी में डालकर रखने को कहें। पानी में नमक भी डाल सकते हैं। इससे उसका शरीर रिलैक्स होगा। कुछ ख़ुशबूदार मोमबत्तियां और कुछ ऐसे एसेंशियल ऑइल्स भी होते हैं, जो तनाव से राहत देने का काम करते हैं। बच्चों का तनाव कम रखने के लिए आप इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या करें जब उन्हें तनाव हो
अंजलि कहती हैं, 'बच्चा तनाव में हो तो इमेजरी तकनीक काम करती है। उससे कहें कि आंखें बंद करके अपनी पिछली सफलता (ज़रूरी नहीं कि वह शिक्षा/परीक्षा से ही जुड़ी हो) और उसकी ख़ुशी को याद करे। इससे उसे लगेगा कि वह पहले सफल हुआ है तो अब भी होगा, उसे बेहतर महसूस होगा।' वे कहती हैं, 'परीक्षा की तैयारी के बीच उनकी दिनचर्या में विश्राम के पल, जैसे-गहरी सांस लेना, सैर करना, स्केचिंग करना, संगीत सुनना या टहलना, ज़रूरी हैं। इससे वे राहत महसूस करेंगे। साथ ही, उन्हें वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने कहें।' यदि बच्चे को ज़्यादा तनाव या घबराहट की वजह से नींद नहीं आती, सिरदर्द या बैचेनी होती है, पेट में मरोड़ या पेट ख़राब होता है तो डॉक्टर की सलाह से आप कुछ दवाइयां दे सकते हैं।''
क्या करें कि बच्चों को तनाव न हो
मनोवैज्ञानिक अंजलि तिवारी का कहना है, 'सबसे पहले तो अभिभावक को ख़ुद को तनाव मुक्त करना होगा, क्योंकि कई बार अनजाने ही वे अपना तनाव बच्चों पर डाल देते हैं। परीक्षा को सामान्य प्रक्रिया की तरह लें। जो पारिवारिक काम पहले साथ-साथ करते थे, जैसे- डिनर, टीवी देखना आदि उन्हें जारी रखें।' हां अगर परीक्षाएं नज़दीक हैं तो बाहर जाने के लिए किसी नज़दीक की जगह चुनें ताकि समय ज़्यादा खराब न हो। बच्चों से पूछें कि वे आपसे क्या मदद चाहते हैं, उनके हिसाब से उनकी मदद करें। व्यावहारिक सुझाव दें, बताएं कि परीक्षा के अंक ही उनके भविष्य को निर्धारित नहीं करते हैं। कहें कि तुम अपनी ओर से सबसे अच्छा करो, जो परिणाम आएगा, हम उसे पूरे दिल से स्वीकारेंगे। ये आश्वस्तियां उन्हें हौसला देंगी।'
हर बात पढ़ाई से संबंधित न हो
मुंबई में रहने वाली लक्ष्मी आनंद का बेटा दसवीं बोर्ड की परीक्षा देने वाला है, वह बताती हैं, 'टाइमटेबल आने के बाद से लगभग हर अभिभावक अपने बच्चे से केवल पढ़ाई और परीक्षा की ही बात करता है। इससे बच्चे पर बेवजह दबाव बनता है। यूं भी बच्चे अपनी परीक्षा का टेंशन लेते ही हैं। और अच्छे अंक लाने के लिए जितनी ज़रूरी पढ़ाई है, उतना ही ख़ुश रहना भी। दिन में एक-दो बार बच्चों को छोटे ब्रेक दें, जिसमें वे गाने सुनें, मज़ेदार वीडियो देखें और ख़ुद को तरोताज़ा कर सकें। अभिभावक भी इसमें शामिल हो सकते हैं।' एक अध्ययन में मनोवैज्ञानिक कैरी गॉडविन और उनकी टीम ने पाया कि छोटी क्लास के बच्चे लंबे समय तक एक ही चीज़ पर ध्यान नहीं लगा पाते। पढ़ाई के बीच मिले छोटे ब्रेक से तनाव कम होता और उत्पादकता बढ़ती है।
रूपरेखा बनाएं और धैर्य रखें
कांदीवली, मुंबई स्थित लोखंडवाला स्कूल की हिंदी शिक्षिका रीना पंत कहती हैं, 'जब परीक्षा का टाइमटेबल सामने हो तो आप धैर्य रखते हुए अपने बच्चे के साथ इस बात की रूपरेखा बनाएं कि अब परीक्षाओं के लिए उसे किस तरह पढ़ना है।' बच्चे ख़ुद ही एग्ज़ाम के लिए बहुत तनाव लेते हैं, यह बताते हुए वे कहती हैं, 'यूं तो यह रिविज़न का समय है, लेकिन यदि आपके बच्चे की तैयारी पूरी नहीं है तो भी दहशत में न आ जाएं। ज़रूरत हो तो शुरू से तैयारी कराएं, क्योंकि तैयारी न होने पर भी यदि आप हिम्मत बनाए रखेंगे तो बच्चा भी हिम्मत रखेगा और तैयारी कर लेगा। यदि अभिभावक कामकाजी हैं तो उन्हें छुट्टी लेने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि बच्चे के तनाव को कम करने में सहायक हो सकें। घर का माहौल सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण हो।