डॉक्टर फ्रीडरिक ओटो इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रंथम इंस्टीट्यूट में जलवायु विज्ञान के सीनियर लेक्चरर तथा वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के सह प्रमुख के अनुसार, जलवायु परिवर्तन इस तापलहर को चला रहा है। ठीक उसी तरह जैसे वह अब हर हीटवेव को संचालित कर रहा है। कोयला, गैस तथा तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों की वजह से हीटवेव और भी ज्यादा गर्म, लंबे वक्त तक चलने वाली और बार-बार आने वाली ताप लहर बनती जा रही है। कभी दुर्लभ मानी जाने वाली हीटवेव अब आम बात हो गई है। पहले जो हीटवेव असंभव हुआ करती थी वह अब न सिर्फ वजूद में आ रही है, बल्कि लोगों की जान भी ले रही है। हमने पिछले साल पैसिफिक नॉर्थवेस्ट हीटवेव के साथ ऐसा देखा है। अगर इंसान की गतिविधियों के कारण उत्पन्न वार्मिंग न होती तो ऐसा होना लगभग असंभव होता।
गर्मी को रोकने का उपाय
जब तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक नहीं लगाई जाएगी तब तक हीटवेव बदतर होती जाएगी। दुनिया नेटजीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में जितनी देर लगाएगी उतनी ही ज्यादा गर्म और खतरनाक हीटवेव का सामना करना पड़ेगा। ऐसी हीटवेव और भी ज्यादा आम हो जाएंगी और लंबे वक्त तक बनी रहेगी। रिकॉर्ड तोड़ती गर्मी को रोकने का एकमात्र उपाय यह है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने का सिलसिला जितनी जल्दी हो सके रोका जाए।
ग्रीन हाउस
पर्यावरणविद डॉ सीमा जावेद ने कहा कि पूरी दुनिया में आज जिस तरह की ताप लहर चल रही है उसे जलवायु परिवर्तन ने और भी ज्यादा तीव्र और जल्दी-जल्दी आने वाली आपदा में तब्दील कर दिया है। ताप लहर (हीटवेव) की वजह से इंसानी आबादी को बड़े पैमाने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। जो भारत पाकिस्तान और अब यूरोप , यूके को प्रभावित कर रही है।कोयला, गैस तथा तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों की वजह से हीटवेव और भी ज्यादा गर्म, लंबे वक्त तक चलने वाली और बार-बार आने वाली ताप लहर बनती जा रही है। जब तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर पूरी तरह रोक नहीं लगती तब तक वैश्विक तापमान इसी तरह बढ़ता रहेगा और इससे संबंधित चरम मौसमी घटनाएं और भी जल्दी जल्दी होती रहेंगी।
हीट वेव
वैज्ञानिकों ने पाया है कि अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाती है तो ऐसी हीटवेव की संभावना हर 5 साल में एक बार होगी। यहां तक कि प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कटौती की धीमी प्रक्रिया की वजह से भी ऐसी हीट वेव की संभावनाएं बरकरार रह सकती हैं।कभी दुर्लभ मानी जाने वाली हीटवेव अब आम बात हो गई है। पहले जो हीटवेव असंभव हुआ करती थी वह अब न सिर्फ वजूद में आ रही है, बल्कि लोगों की जान भी ले रही है। हमने पिछले साल पैसिफिक नॉर्थवेस्ट हीटवेव के साथ ऐसा देखा है। अगर इंसान की गतिविधियों के कारण उत्पन्न वार्मिंग न होती तो ऐसा होना लगभग असंभव होता। हीटवेव में जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ाने की क्षमता है। यहां तक कि इससे सूखा भी उत्पन्न हो सकता है। क्षेत्र के हजारों लोग अब ग्लोबल वार्मिंग की भारी कीमत चुका रहे हैं।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
यूनीसि लो पर्यावरण वैज्ञानिक ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के अनुसार, जिस तरह से प्रदूषणकारी तत्वों का उत्सर्जन जारी है, हम उम्मीद कर सकते हैं कि तापमान में और भी ज्यादा बढ़ोत्तरी होगी। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ने की आशंका और भी ज्यादा प्रबल हो जाएगी। वर्तमान में ब्रिटेन का सर्वाधिक तापमान 38.7 डिग्री सेल्सियस है जो जुलाई 2019 में कैंब्रिज बोटैनिक गार्डन में दर्ज किया गया था। वैज्ञानिक यह मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में यह रिकॉर्ड टूटने जा रहा है। अत्यधिक गर्मी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है। इंग्लैंड में हीटवेव के कारण हर साल औसतन करीब 2000 अतिरिक्त मौतें हो रही हैं।
हरियाली को बढ़ाया जाए
ऐसे में शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखना, घरों के अंदर या छाया के नीचे रहना और हीटवेव के दौरान मित्रों और परिवारों का हाल जानना जरूरी है। हालांकि अक्सर लोग चमकीली धूप वाला मौसम ज्यादा पसंद करते हैं, मगर यह महत्वपूर्ण है कि गर्मी के प्रभावों को कम करके न आंका जाए और समुचित एहतियात बरती जाए। हमें दीर्घकाल में गर्मी के प्रति अनुकूलित होने की भी जरूरत है। इसमें घरों, स्कूलों तथा अस्पतालों की उपयुक्त डिजाइनिंग भी शामिल है जिनमें हवा की आवाजाही की अच्छी व्यवस्था के साथ-साथ ओवरहीटिंग को रोकने का भी इंतजाम हो। इसके अलावा शहरों के पार्कों में हरियाली को बढ़ाया जाए और सभी के लिए गर्मी संबंधी चेतावनी की पहुंच सुनिश्चित की जाए।