World Down Syndrome Day 2023: विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस को प्रतिवर्ष डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे लोगों के लिए मनाया जाता है। साथ ही इस सिंड्रोम के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है। इस दिवस को प्रतिवर्ष तीसरे महीने के 21वें दिन मनाया जाता है। क्योंकि ये इस सिंड्रोम की विशिष्टता को दर्शाता है। इस दिवस को क्यों मनाया जाता है, ये क्या है और क्यों इसके लिए 21 तारीख का चुनाव किया गया इसकी जानकारी आपको इस लेख के माध्यम से दी जाएगी। ये एक महत्वपूर्ण सवाल है और इसका कारण आपके लिए जानना दिलचस्प होगा। आइए इसके बारे में और जाने।
हर साल इस सिंड्रोम से करीब 6,000 बच्चे प्रभावित होते हैं। इसकी कुछ मामले कुत्तों में भी देखें गए हैं। कुत्तों में ये मामले बहुत ही दुर्लभ है। लेकिन इंसानों में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं। जैसा की आपको अभी बताया कि प्रतिवर्ष 6 हजार के आस-पास बच्चे इससे प्रभावित है। इन्हीं कारणों को देखते हुए इस सिंड्रोम के प्रति लोगों को जागरूक करना आवश्यक है और यही कारण है कि इस दिवस की स्थापना की गई है।
क्या है डाउन सिंड्रोम?
डाउन सिंड्रोम एक तरह का विकार है जो मनुष्य में पाया जाता है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति में एक अतिरिक्त गुणसूत्र होता है। डाउन सिंड्रोम को ट्राइसॉमी 21 भी कहा जाता है। ये 21वें क्रोमोसोम के ट्रिप्लीकेशन की विशिष्टता को दर्शाने का कार्य करता है और ये ही डाउन सिंड्रोम का कारण भी है। गुणसूत्र शरीर में जीनों के पैकेज होते हैं, जो ये निर्धारित करते हैं कि शरीर का विकास कैसे होगा और वो कैसे कार्य करेगा। यही गुणसूत्र की अतिरिक्ता डाउन सिंड्रोम है।
पैदा होने वाले 800 बच्चों में से 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होता है। वार्षिक आंकड़ों की बात करें तो प्रतिवर्ष पैदा हुए लगभग 6,000 बच्चे इस सिंड्रोम से प्रभावित होते हैं। इस सिंड्रोम की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसके होने का कोई ज्ञात कारण पता नहीं लग पाया है। ये स्वाभाविक रूप से होता है और आमतौर पर बौद्धिक और शारीरिक अक्षमता और संबंद्धित चिकित्सक परेशानियों का एक कारण बनता है।
कब होता है डाउन सिंड्रोम
डाउन सिंड्रोम के बारे में जानने के बाद ये जानना भी आवश्यक है कि ये सिंड्रोम कब होता है। तो आपको बता दें कि डाउन सिंड्रोम व्यक्ति को तब होता है जब उसमें क्रोमोसोम 21 की एक अतिरिक्त आंशिक की प्रति होती है। लेकिन इस बात का आज तक पता नहीं लग पाया है कि ये किन कारणों से होता है।
आपको बता दें कि डाउन सिंड्रोम मानव स्थिता का हमेशा से ही एक हिस्सा रहा है और ये किसी एक देश तक सीमित नहीं है। इसके मामले आपको पूरे विश्व में देखने को मिलते हैं। ये लोगों के शारीरिक विकास, सीखने की शैली और स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव डालता है। डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्ति के लिए आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल के साथ शिक्षा और प्रारंभिक हस्तक्षेप कार्यक्रम उनकी वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
क्यों मनाया जाता है विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था। दिसंबर, 2011 में विश्व डाउन सिंड्रोम को A/RES/66/149 के माध्यम से मनाए जाने की घोषणी की गई। साथ ही महासभा ने इसे प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाए जाने का निर्णय भी लिया। इस दिवस की स्थापना का उद्देश्य डाउन सिंड्रोम के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। लेकिन सबसे पहले इस दिवस की स्थापना 2006 में की गई थी। आधिकारिक तौर पर इस दिवस को पहचान 2011 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई।
विश्व डाउन सिंड्रोम सबसे पहले 2006 में मनाया गया था। इस दिवस की स्थापना डाउन सिंड्रोम इंटरनेशनल द्वारा 2005 में विश्व कांग्रेस में की गई थी। इसके बाद ब्राजीलियन फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ डाउन सिंड्रोम ने DCI यानी डाउन सिंड्रोम इंटरनेशन के साथ हाथ मिलाया और साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन उत्पन्न करने के लिए एक अभियान की शुरुआत की गई। इस प्रकार डाउन सिंड्रोम को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने का कार्य शुरू किया गया।
21 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जब इस सिंड्रोम के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए आधिकारिक तौर पर अपनाया गया, तो इस दिवस को मनाने के लिए 21 मार्च की तिथि का चुनाव भी संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ही किया गया। महासभा द्वारा 21 मार्च की तिथि को 21वें क्रोमोसोम के ट्राइप्लिकेशन की विशिष्टता को दर्शाने के लिए चुना गया था। जो इस डाउन सिंड्रोम का कारण बनता है।
विश्व डाउन सिंड्रोम 2023 की थीम
प्रतिवर्ष इस दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। उसी प्रकार इस साल भी एक विशेष विषय का चुनाव किया गया है। इस साल विश्व डाउन सिंड्रोम 2023 की थीम है "हमारे साथ नहीं हमारे लिए"।
डाउन सिंड्रोम से जुड़े रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य
1. सबसे पहले डाउन सिंड्रोम के प्रमाण वर्तानों और पेंटिंग में 2,500 वर्ष पहले पाए गए थे। जिसमें डाउन सिंड्रोम से पीड़ित आकृति बनी हुई थी।
2. इस सिंड्रोम की पहचान गर्भावस्था के शुरुआती समय में अल्ट्रासाउंड और रक्त की जांच की सहायता से की जा सकती है।
3. डाउन सिंड्रोम का नाम डॉक्टर जॉन लैंगडन डाउन के नाम पर रखा गया था। डॉक्टर जॉन लैंगडन डाउन वर्ष 1866 में इस स्थिति का क्लीनिकल विवरण प्रकाशित किया गया था।
4. पहले यानी 1960 में इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की संभावित उम्र केवल 10 वर्ष तक की होती थी। लेकिन अच्छी टेक्नोलॉजी और लगातार बढ़ते मेडिकल क्षेत्र के कारण अब इस सिंड्रोम के लोगों की संभावित उम्र 60 वर्ष से अधिक होती है।
डाउन सिंड्रोम के लक्षण क्या है?
• चपटा चेहरा
• छोटा सिर
• छोटी गर्दन होने की पैदाइशी बीमारी
• निकली हुई जीभ
• ऊपर की ओर झुकी हुई पलकें (पल्पेब्रल फिशर)
• असामान्य रूप से आकार या छोटे कान
• खराब मांसपेशी टोन
• हथेली में एक ही क्रीज के साथ चौड़े, छोटे हाथ
• अपेक्षाकृत छोटी उंगलियां और छोटे हाथ और पैर
• अत्यधिक लचीलापन
• आंख के रंगीन हिस्से (आइरिस) पर छोटे सफेद धब्बे (जिन्हें ब्रशफील्ड्स स्पॉट कहा जाता है)
• छोटा कद