Rare Disease Day 2023: दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी को क्यों मनाया जाता है, जाने कारण

Rare Disease Day 2023: प्रतिवर्ष फरवरी के अंतिम दिन दुर्लभ रोग दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2008 में यूरोपीय संगठन द्वारा की गई थी। तब से हर साल इस दिवस को 28 फरवरी को मनाया जाता है और अधिवर्ष यानी लीप ईयर में इस दिवस को 29 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिवस को हर साल इस दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल दुर्लभ रोग दिवस 2023 के लिए "अपने रंग साझा करें (शेयर योर कलर)" तय की गई है।

इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में दुर्लभ रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है। विश्व में 20 में एक 1 व्यक्ति दुर्लभ रोग का शिकार होता है कुछ का इलाज किया जा सकता है कुछ लाईलाज होती हैं। इसी प्रकार के कई रोगों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत की गई। इस दिवस को मनाए जाने के मुख्य उद्देश्य की बात करें तो इसका उद्देश्य आम जनता तक इन दुर्लभ बिमारियों से संबंधित आवश्यक ज्ञान पहुंचाना है और इससे संबंधित हो रही रिसर्च को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना है।

Rare Disease Day 2023: दुर्लभ रोग दिवस  28 फरवरी को क्यों मनाया जाता है, जाने कारण

देश भर में कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके बारे में लोगों को पता तक नहीं है। इन बीमारियों को आम तौर पर लोग दुर्लभ यानी रेयर मानते हैं। जिनकी रोकथाम, निपटारन और देखभाल भी मुश्किल होती है। हर साल 28 फरवरी को दुर्लभ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। जिसका उद्देशय मुख्य तौर पर लोगों को इन बीमारियों के बार में जानकारी देना और इसके प्रति उनमें जागरूकता बढ़ाना है।

दुर्लभ रोग दिवस क्यों मनाया जाता है

दुर्लभ रोग दिवस हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है इस दिवस की शुरआत वर्ष 2008 में की गई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिवस को 28 फरवरी को ही क्यों मनाया जात है, इसके पीछे का मुख्य कारण क्या है। जबकि इस दिवस को 29 फरवरी को स्थापित किया गया था। आइए आपको बताएं कि किस प्रकार इस दिवस को 28 फरवरी को मनाया जाता है।

वास्तव में दुर्लभ रोग दिवस को मनाए जाने की घोषणा यूरोपीय संगठन द्वारा 2008 में की गई थी। इस घोषणा के अनुसार इस दिवस को 29 फरवरी को मनाए जाने की बात की गई। लेकिन क्योंकि 29 फरवरी की तिथि केवल अधिवर्ष यानी लीप ईयर में होती है जो कि हर साल चार साल में एक बार आता है, इसलिए तय किया गया है इस दिवस को हर साल फरवरी के अंतिम महीने में मनाया जाएगा। जिसके अनुसार इस दिवस को हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है केवल अधिवर्ष में दुर्लभ रोग दिवस को 29 फरवरी को मनाया जाता है। सभी जानते हैं कि वर्ष में एक फरवरी का ही महीना होता है जिसमें 28 और 29 दिन होते हैं इसलिए ये महीना अपनी दुर्लभ संख्या के लिए भी जाना जाता है और इसी महीने में दुर्लभ रोग दिवस भी मनाया जाता है।

इस दिन कई तहर के कार्यक्रमों जैसे पैदल यात्रा, रेस, कला प्रदर्शन आदि का आयोजन किया जाता है ताकि इस दिवस के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा की जा सकें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच कर उन्हें इसके बारे में जानकारी प्रदान की जा सकें। ताकि लोग किसी सामान्य लक्ष्ण को आम बिमारी या वायल समझ कर नजरअंदाज न करें और जरूरत से ज्यादा लंबे समय तक दिखने वाले लक्ष्णों को पर ध्यान दे और चिकित्सकों से सलाह लें। कई बार हमे जिन लक्ष्णों को नजरअंदाज करते हैं वह बाद में हमारे लिए मुसिबत बन जाते हैं।

दुर्लभ रोग दिवस 2023 थीम

हर साल इस दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल यानी 2023 में दुर्लभ रोग दिवस को "अपने रंग साझा करें (शेयर योर कलर)" थीम के साथ मनाया जाएगा। इस दिवस के माध्यम से दुर्लभ रोगों से जुझ रहे लोगों के पास कार्य करने वाले और उनके लिए कार्य करने वाले कर्मचारी, जो इन रोगियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में लोगों जानकारी देकर जागरूकता बढ़ाने में सहायता करते हैं।

जल्द पकड़ में नहीं आती हैं दुर्लभ रोग

कोइ भी डिजीज खासतौर पर दुर्लभ/रेयर तब बनती है जब इन रोगों का समय पर पता नहीं चल पाता है। जिसके पीछे की शायद वजह यह होती है कि कई बार बीमारियों के अलग-अलग लक्षण देखे जाते हैं। जिसके कारण रोगों की सही जनकारी जुटाने में देर हो जाती है। रोग की के बारे में पता लगने में हुई देर के कारण ये रोग एक व्यक्ति के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

मौजूदा समय में करीब सात हजार एसे रोग हैं जिन्हें दुर्लभ रोग के तौर पर जाना जाता है, जिनके इलाज के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है या उन रोगों को लेकर कोई एक दवा नहीं है। साथ ही साथ कई ऐसे रोग है जो स्टेजों के अनुसार होते हैं अगर समय रहते जानकारी प्राप्त हुई तो इलाज किया जा सकता है लेकिन अगर उनके लक्ष्णों के नजर अंदाज किया जाए तो इनका इलाज कर पाना मुश्किल होता है। ये रोग एक अच्छे-खासे व्यक्ति को देखते ही देखते अस्पताल के बिस्तर पर पहुंचा सकती है।

समाज में भी इन रोगों से ग्रसित लोगों से होता है भेदभाव

हमारे समाज में यह सबसे बड़ी कमी है कि लोग इन रोगों के बारे में जाने बिना मरीजों के साथ समाजिक भेदभाव करते है। अभी हाल में ही देखा गया है कि कोरोना काल में लोग कोरोना संक्रमित मरीजों के प्रति भेदभाव की भावना रखने लगे थे। जहां एक तरफ लोगों के मन में कोरोना से पिड़ित मरीजों को लेकर सही भावना नहीं थी वहिं कुछ लोग ऐसे भी थे कि उन्होंने इस लोगों की सहायता करने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं कि थी। ये सब सही जानकारी और जागरूकता के कारण ही संभव हो पात है। उसी तरह से यदि दुर्लभ रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा की जाएगी और उन्हें सही ज्ञान प्रदान किया जाएगा तो इन रोगों के बारे की जानकारी आम जनता तक आसानी से पहुंचाई जा सकेगी और इनके उपाचर करने में सहायता प्राप्त हो पाएगी।

इन रोगों के दवाओं के अभाव होने के कारण मरीज कई बार मौत के मुह में चला जाता है, वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि मरीज गरीब परिवार से होने के कारण इलाज का खर्च वहन नहीं कर पाता है। दवा कंपनियों की भी अगर हम बात करें तो वो इन रोगों के लिए इसलिए भी दवाएं नहीं बनाती क्योंकि इन दवाओं की बिक्री नाम मात्र होती है और किमते अधिक।

सरकार को चाहिए कि इस विषय पर संज्ञान लेकर सरकारी अस्पताल में इन बीमारियों के इलाज का पूरा प्रबंध करें। ताकी गरीब परिवार को इसका लाभ मिल सके। आम तौर पर ऐसा देखा जाता है कि अमिर लोग विदेश में भी जाकर अपना इलाज करा लेते हैं। वहीं ऐसे लोग हैं जो इलाज के खर्चे का वहन तक नहीं कर पाते हैं वो इलाज के अभाव में ही दम तोड़ देते हैं।

कुछ दुर्लभ रोगों के नाम

1. एसेंथोसाइटोसिस कोरिया - एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉडर है जो शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
2. एक्रोमेसोमेलिक डिसप्लेसिया-एक विरासत में मिलने वाली बीमारी है। जिसे बौनावाद के रूप में जाना जाता है।
3. तीव्र भड़काऊ डिमाइलेटिंग पॉलीयूरोपैथी (AIDP) - तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाले बीमारी है।
4. तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया - ये एक रक्त कैंसर जो विशेष रूप से सफेद रक्त कोशिकाएं से संबंधित है।
5. एडिसन रोग (अधिवृक्क अपर्याप्तता) - शरीर में अधिवृक्क ग्रंथियां कुछ कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन हार्मोन की प्रयाप्त मात्र नहीं बना पाती है।
6. एड्रेनोलुकोडिस्ट्रॉफी (एएलडी) - एक जेनिटिक स्थिति जो माइलिन म्यान (झिल्ली) को नुकसान पहुंचाती है। ये रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं को कवर करती है।
7. तीव्र भड़काऊ डिमाइलेटिंग पॉलीनेयुरोपैथी - एक ऑटोइम्यून बीमारी, इस बीमारी को एक सदी पहले मान्यता प्राप्त हुई है।
8. एलाजील सिंड्रोम - पित्त से संबंधित बीमारी है जो विरासत दर विरासत चलती है।
9. एल्केप्टोनूरिया (ब्लैक मूत्र रोग) - विरासत में मिली स्थिति के परिणामस्वरूप होमोगेंटिसिक एसिड का निर्माण होता है। ये मुख्य तौर पर प्रोटिन टूटन के कारण होती है।
10. अचलिया कार्डिया - एक दुर्लभ बीमारी जो भोजन और तरल के लिए आपके मुंह और पेट को जोड़ने वाली निगलने वाली नली से गुजरना मुश्किल बनाता है।

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English summary
Rare Disease Day 2023: Rare Disease Day is observed on the last day of February every year. The day was started in the year 2008 by the European organization. Since then, every year this day is celebrated on 28 February and this day is celebrated on 29 February in the leap year. This day is celebrated every year with a new theme. This year, "share your color (share your color)" for Rare Disease Day 2023.
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