भारत इस वर्ष अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस माना रहा है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। 8 अगस्त को क्विट इंडिया मूवमेंट डे 2022 का 80वां वर्षगांठ मनाया जा रहा है। भारत की आजादी के कई आंदोलन चलाए गए, जिसमें भारत छोड़ो आंदोलन ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम का फल ही है कि भारतीय नागरिक आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं। भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया। आइये जानते हैं भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध कैसे लिखें।
भारतीय इतिहास भारत छोड़ो आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में, पूरे भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन मुहीम शुरू की गई। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मुंबई में महात्मा गांधी द्वारा 'करो या मरो' नारे के साथ शुरू की गई। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के बॉम्बे सत्र में भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग की गई थी। दरअसल वर्ष 1942 में जापानी भारतीय सीमा पर आ रहे थे, जिसके कारण अंग्रेज दबाव में थे और उन्होंने क्रिप्स मिशन के साथ बातचीत करने की कोशिश की। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम 1935 में बदलाव किया, जिसे भारतीय नेताओं ठुकरा दिया और क्रिप्स मिशन विफल हो गया।
क्रिप्स मिशन की विफलता ने ब्रिटिश सरकार को हिला दिया। जिसके बाद भारत में ब्रिटिशों वापसी के लिए 29 अप्रैल से 1 मई 1942 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी कार्यसमिति के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इलाहाबाद में हुई इस बैठक में महात्मा गांधी जी नहीं पहुंचे, लेकिन उनके द्वारा सुझाये गए कई विषयों को इस आन्दोलन में शामिल किया गया है। इसके बाद 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति ने एक बैठक आयोजित की, जिमसें यह संकल्प लिया गया कि इस अहिंसक जन आंदोलन की कमान केवल महात्मा गांधी जी के हाथ में होगी।
इसके बाद 'भारत छोड़ो आंदोलन' ने जोर पकड़ा और 7 से 8 अगस्त 1942 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव को मजूर किया। इस मंजूरी के बाद महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारे देकर भारत की आजादी का एक नया पथ बनाया। इसके एक दिन बाद ही 9 अगस्त 1942 में ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस गिरफ़्तारी के बाद पूरे भारत में राष्ट्रव्यापी हड़ताल और आन्दोलन होने लगे, जिसमें एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश की एक जुटता को देखते हुए, ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और अन्य लोगों को छोड़ दिया। अपनी रिहाई के बाद 1944 में गांधी जी ने आंदोलन को गति देने के लिए 21 दिनों का उपवास रखा। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता की मांग को नजरअंदाज नहीं किया और अंत में यह आंदोलन आजादी की तरफ चला गया। अंततः 15 अगस्त 1947 में भारत अंग्रजी हुकुमत से आजाद हो गया।